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प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 39)

अभी एक पल पहली हुई घटना ने सभी को अंदर तक झिंझोड़कर रख दिया था। वैसे किसी को मरते हुए देखना उस कमरे में उपस्थित किसी मे लिए भी कोई नई बात नहीं थी मगर जिस तरह वह अपने प्रेम, अपने कर्तव्य के लिए अपना बलिदान दिया। खुद की चल फिर सकने में सक्षम होने वाली हालत न होते हुए भी किसी अजनबी के जान की खातिर अपनी जान दे गई। शायद आशा ब्लैंक की गोलियों से बच भी जाति मगर मेघना ने अपना अंत देख लिया था, वह कोई कायर नहीं थी। वह कभी कोई कायर नहीं थी, उसने अपनी पूरी ज़िंदगी दूसरों की खातिर जिया और मौत को भी उसी अंदाज में, किसी को बचाते हुए बड़े शान से गले लगा लिया।

आशा उसकी ढुलकती पलकों के पीछे छिपती पुतलियों को देखे जा रही थी, इस वक़्त वह बुरी तरह जड़ हो चुकी थी। आदित्य अब भी उसके मासूम चेहरे को एकटक देखे जा रहा था। आज उसे ठगा सा महसूस हो रहा था, कि उसने क्या खो दिया, उसने अपना आखिरी अपना भी खो दिया। अब इस पूरी दुनिया में ऐसा कोई नहीं, जो उससे प्यार करता हो। शायद वह अपने किये पर अफसोस मना रहा था।

अनि अपने हाथ में थमे कागज को बुरी तरह कुचलते जा रहा था, वो बस आदित्य को घूरे जा रहा था। अरुण की आंखों ने अपने सामने कई मासूमों के हत्यारे को एक और बेगुनाह का खून करते देख लिया, उन आँखों में लहू उतर आया। वह अनि को धक्का देते हुए आदित्य के पास जा पहुँचा, धक्के से वे सारे पर्चे नीचे बिखर गए, अनि उन्हें समेटने लगा। वातावरण में अंधेरा और अधिक बढ़ने लगा था, साथ ही वह भयानक हँसी और भयंकर रूप धारण किये जा रही थी। मगर अरुण सबकुछ अनसुना, अनदेखा करके आदित्य के पास पहुँच चुका था।  उसकी जोरदार किक ने उसे उछालकर दूर फेंक दिया।

"बोला था ना साले! जिस दिन मिलेगा ऐसी मौत मारूंगा कि साला मौत की भी रूह कांप जाएगी।" अरुण ने उसके कॉलर को पकड़कर उठाते हुए दीवार से सटाकर बोला, मगर इस वक़्त आदित्य विरोध की हालत में नहीं था।

"मरने के लिए तैयार हो जा कुत्ते के पिल्ले! तूने जब उसे नहीं छोड़ा जो तेरे बचपन का साथ है तो किसी पर जुल्म ढाने से पीछे कैसे रहेगा। तू किसी रहम के काबिल नहीं है कुत्ते!" अरुण के शक्तिशाली मुक्के ने आदित्य का जबड़ा तोड़ दिया। अरुण किसी पागल की तरह उसपर घूसों की बरसात करता रहा, आदित्य का चेहरा बुरी तरह लहूलुहान हो गया।

"ये था तेरा मकसद? इतना घिनौना! आक थू!" अरुण ने उसके चेहरे पर थूक दिया। "किसी बड़े सियापे वाले ने इस काली दुनिया का नाम प्रेमम रखा होगा, तू कभी वो देखता जो तेरे पास बचा था साले! मगर तूने उसके सामने बस दिखावा किया, अपने बाप के आदर्शों को दांव पर लगा दिया तूने..!" अरुण का अगला मुक्का उसके चेहरे के नक्शे को पूरी तरह बदल देता मगर अनि ने उसे रोक लिया, आदित्य का चेहरा बुरी लहूलुहान था, मगर उसकी आँखों में पश्चाताप के आंसू थे जो धीरे धीरे सूखते जा रहे थे। अरुण के हरेक घूसे के साथ आदित्य की मुस्कान बढ़ती जा रही थी, अनि द्वारा रोके जाने पर आदित्य के टूटे फूटे चेहरे पर कुटिल मुस्कान नृत्य करने लगी, उसके नाक की नकशीर टूट चुकी थी, जबड़ा बुरी तरह टूट चुका था मगर एक भी चीख बाहर न आई।

"छोड़ो मुझे! इस साले का जीने से अच्छा मर जाना ही है।" अरुण ने अनि से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा।

"लोग नफरतों के पहाड़ पर चढ़कर प्यार की तलाश करते हैं, हुतियापे की एक सीमा होती है।" आदित्य की आँखों में घूरते हुए अनि ने कहा। "तुझे लगता है इस दुनिया से तू वो हासिल कर लेगा जो असली दुनिया में तूने खो दिया है? ऐसा कभी नहीं होता..." इससे पहले अनि कुछ और बोलता अरुण ने उसे एक ओर कर दिया, उसके हाथों में उसकी खंजर चमक रही थी।

"बस बहुत हुआ तेरा खेल! तेरा ये खेल यहीं खत्म होता है।" कहते हुए अरुण ने उसपर प्रहार किया मगर अनि ने उसे बीच में ही रोक लिया।

"रुक जाओ!" अनि चिल्लाया।

"तुम इस कमीने को बचा रहे हो जिसने अभी तुम्हारी आँखों के सामने एक खून किया है, जिसने कई मासूमों को भीषण यातनाएं देकर मार डाला! आज इसकी मौत तय है अनि! अब तो साक्षात ब्रह्मा भी अरुण को नहीं रोक सकते।" अरुण ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा, मगर अनि तब भी उसके हाथ को कसकर पकड़े रहा।

"मुझे समझ नहीं आता कि तुम इस कुत्ते को क्यों बचा रहे हो?" अरुण ने एक एक शब्द को चबा चबाकर कहा।

"क्योंकि अगर ये मारा गया तो इस अंधेरी दुनिया का किस्सा कभी खत्म न होगा, और मैं नहीं चाहता कि दुबारा किसी मासूम की जान जाए। तुमने ध्यान नहीं दिया मेघना ने कहा कोई इसका मिसयूज कर रहा है, यानी पर्दे के पीछे का खिलाड़ी कोई और है! और अब यही है जो इस दुनिया को दुनिया से मिटा सकें।" अनि ने उसकी ओर देखते हुए जवाब दिया, आदित्य के होंठो की मुस्कान और बढ़ गयी।

"ये मत सोच तेरी साँसे ज्यादा देर तक चल पाएंगी, जैसे ही ये सब खत्म हुआ तेरा किस्सा भी खत्म हो जाएगा!" अरुण ने उसके गालों पर खंजर से एक पतली सी लाइन खींचते हुए बोला।

"साँसे तो तुम में से किसी की ज्यादा देर तक नहीं चलने वाली लड़कों! हाहाहाहा…..!" वह पूरा कमरा उसकी हँसी से भर गया।

"तुम…!?" आदित्य की आँखे फटी की फटी रह गयी, इसी के साथ उस कमरे में दोनों तरफ से कई नकाबपोश सर्च लाइट लिए प्रवेश करने लगे। आशा को जैसे अब होश आया, वैसे भी वह उन मर्दों की लड़ाई में नहीं पड़ना चाहती थी, और मेघना वाली घटना ने उसे बुरी तरह झिंझोड़कर रख दिया था।

"क्या हाल है जानेमन! अपना दिल जरा संभाल के रखना कहीं हार्ट अटैक न आ जाये हाहाहा….!" जोरो के ठहाके लगाने के साथ कहते हुए उस लड़की ने अपना नकाब उतार दिया। आदित्य के पैरों तले जमीन खिसक गई, उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था।

"घेर लो इन सबको!" उसके इशारे के साथ ही उन सभी पर कई बन्दूकें तन गयीं।

"स..सिया तुम!" आदित्य के टूटे हुए जबड़े से किसी तरह लड़खड़ाते हुए बस यही शब्द निकल सकें।

"सिया नहीं जानेमन..! सिया तो बस तुम्हारी प्रेमिका का नाम था हाहाहा…! मैं हूँ अब इस दुनिया की स्वामिनी हाहाहाहा…!" व्यंग्यपूर्ण अंदाज में कहकहे लगाते हुए वह बोली।

"तुम जिंदा कैसे हो?" आदित्य की आँखे फटी की फटी रह गयी।

"क्या मतलब जिंदा कैसे हो? सिम्पल सा आंसर है जैसे रहते हैं, साँस लेके! खाना खाती हूँ, पानी पीती हूँ और हां खून से नहाती भी हूँ।"  उसने अपनी पुतलियों को नचाकर आदित्य के गाल पर हाथ फिराते हुए चुटकी लेने के अंदाज़ में जवाब दिया।

"नहीं तुम सिया नहीं हो सकती।" आदित्य लगभग चीखता हुआ बोला।

"तो मैंने कब कहा मैं सिया हूँ जानी! तुम सब के सब इस खेल में मेरे मोहरे हो!" उसने अपनी जुल्फों में उंगलियां फिराते हुए कहा।

"जानी तुम! तुम बिल्कुल सिया जैसे कैसे हो सकती हो?" आदित्य को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था।

"तुमने सुना नहीं कि कभी कभी जुड़वा भाई बहन एक ही शक्ल के होते हैं! या इसे बस फिल्मी मानते हों?" कहते हुए उसने मुँह बिचकाया।

"तुम सिया की जुड़वा बहन कैसे हो सकती हो?" आदित्य ने फिर हैरानी से पूछा।

"क्या अजीब सवाल कर रहे हो? लगता है जैसे आज सबसे बड़ा मास्टरमाइंड ब्लैंक क्लास फाइव का बच्चा बन गया है। सिम्पल सा जवाब है साथ पैदा हो के। वो सिया बड़ी थी मुझसे.. टोटल पांच मिनट! मुझे पैदा करते ही मेरी माँ गुजर गई, मगर सुना है कि लोग कहते थे कि उनके दिमाग में कोई गहरी चोट लगी थी जो उन्हें उनके पूर्वजों से मिली थी, कहा जाता था कि वो पत्थरों पर लिखी भाषा पढ़ सकती थीं मगर पापा ने उन्हें ये करने नहीं दिया, जिससे उनके दिमाग का घाव बढ़ता चला गया और इसी कारण वो मुझे पैदा करते ही निकल लीं।" उसने कहा, ये कहते वक़्त उसके चेहरे पर शिकन के कोई भाव नहीं थे, वह बिल्कुल सामान्य रूप से कहे जा रही थी।

"सिया मेरी बहन जरूर थी मगर वो मेरे जस्ट अपोजिट थी। मैं अपने बाप की तरह दुनिया पर राज करने के सपने देखती और वो दुनिया में प्यार भरने की। बताओ भला प्यार भी कोई भरने की चीज होती है, दुनिया तो ऐसी है कि केरोसिन डाल के आग दो मगर वो मुझसे बड़ी थी इसलिए मैं चुप रहती।

अब तक हम काफी बड़े हो गए थे, हमे अपने पापा का काम पता चल गया था, वो उस इलाके के सबसे बड़े माफिया थे, एक दिन आपस की मुठभेड़ में उनकी मौत हो गयी, कोई नहीं जानता था कि उनका खून किसने किया जानी! पर इस कारण सिया बहुत दुखी हुई और घर से निकल गईं। मगर मुझे वो मिला जो मैं बचपन से करना चाहती थी, सारी दुनिया पर राज। अपने बाप से मैं बस इतना सीख चुकी थी कि जबर्दस्ती नहीं लोगों के दिल से खेलकर उन्हें अपने लिए उकसाओ, और मैंने बस वही किया। एक दिन किसी को बड़ी अजीब भाषा में किताब मिली, एक ने उस किताब को मुझे दिखाया। 'प्रेमम!' सब जिस किताब को नहीं समझ पा रहे थे उसे भी मैं आसानी से पढ़ती चली गयी, मैं समझ गयी मुझ में भी मेरी माँ के गुण आ गये हैं। किताब पढ़ने के बाद ख्याल आया कि दुनिया पर राज करने का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं हो सकता था, मगर सवाल ये था कि जिस तिथि और नक्षत्र काल में जन्मा युवक उसे खोल सकता था, वो बस एक था, और उसे ढूंढना भूसे में सुई ढूंढने से भी मुश्किल था।

मगर जब किस्मत साथ देती है तो गजब का साथ देती है..! सिया एक दिन वापस आयी, उसने मुझे बताया कि उसने एक लड़का है जिसे वो एकतरफा प्यार करने लगी है, अब वो उससे इजहार करके, उसी के साथ मुझसे चली जायेगी। मुझे बहुत बुरा लगा, पर मेरी खोज पूरी हो गईं, मैंने आदित्य के पीछे अपने आदमियों को लगा दिया, वही वह इकलौता शख्स था जो प्रेमम का द्वार खोल सकता था मगर इसकी शर्त ये थी कि वो जिससे भी प्यार करता, उसे खोना बेहद जरूरी था।

मैंने सिया को मना किया कि उससे इजहार न करे, वरना अंजाम बुरा होगा। आदित्य अपनी फैमिली को कुछ ज्यादा ही प्यार करता था, इसीलिए उनकी कार को उड़वा दिया और उसे एक्सीडेंट का नाम दे दिया। मगर आदित्य को उदास देख सिया का उसके प्रति प्यार और मेरे प्रति नफरत बढ़ने लगी।

उसने आदित्य को उसके हर खोए रिश्ते के हिस्से का प्यार दिया, आदित्य के अंदर का वो गम भरने लगा, वो अपनी इस दोस्त के साथ ट्रेनिंग के लिए चला गया। मैं मेरे सपनों को यूँ बिखरते नहीं देख सकती थी, लर मुझे गहरा धक्का देना था इसलिए सही वक्त का इंतजार किया, जैसे ही ये उससे मिलने गया ठीक उसी वक़्त उसकी मुलाकात यमराज से करा दी।

बुरा तो लगा जानी! बहुत बुरा लगा, पांच मिनट बड़ी बहन थी वो मेरी। मगर कभी भी अपने सपनों को ज्यादा इम्पोटेंस देनी चाहिए। फिर मैं जो चाहती थी वही हुआ, आदित्य की कमज़ोर नस पर वार किया, उसे यकीन दिलाया कि अगर उसने प्रेमम को खोल दिया तो उसे वह मिल जाएगा जो उसे चाहिए, जिस किसी से भी वो प्यार करता है।

सिया की चिता के साथ ही आदित्य की सारी भावनाएं भी जलकर स्वाहा हो चुकी थीं, उसने लगे हाथ इस ऑफर को एक्सेप्ट कर लिया और बना ब्लैंक! फिर मैंने अपने आदमियों की मदद से ऐसे हजारों आदमियों को ढूंढा जिन्होने कुछ न कुछ खास खोया हुआ था, उन सबको एक साथ लाकर ट्रेनिंग कराया और तब बनी बुलैरिश आर्मी! जिसमें वक़्त के साथ हजारों लोग जुड़ते चले गए और ब्लैंक बना बुलैरिश आर्मी का एक क्रुएल लीडर! जिसकी असली मालिक मैं हूँ जानी!" कहते हुए उसने लंबी सांस छोड़ी, उसके चेहरे पर विजयी भाव दिखाई दे रहे थे। "तुम्हें ये लगता है कि मुझे पैसे कहाँ से मिले? तो जिसके पास हज़ारों की मैनपॉवर हो उससे ये सवाल करना भी बेवकूफी है हाहाहा...!"

"खैर तुमने स्टोरी तो पूरी सुन ली। अब आराम से मरने का वक़्त आ गया है बॉयज!" अनि की ओर आगे बढ़ते हुए उसने कहा।

"तुम जो भी हो जानी जाने जानू! जानेमन तुम्हारें इस चाल का चक्कर हम चलने नहीं देंगे!" अनि ने मुँह बिचकाते हुए कहा।

"तुम अब तक नहीं समझे जानी! अब इस सारी दुनिया की मालकिन जानी है जानी!" उसने इठलाते हुए अनि के गाल पर अपनी उंगलियां फिराई, अनि ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

"बॉयज के चक्कर में गर्ल्स को भूल जाना सही नहीं है जानी!" उसपर तेजी से झप्पटा मारते हुए आशा ने कहा, मगर वह हल्के से पीछे हटकर फिर जस की तस खड़ी हो गयी। आशा अनि के पास वाली दीवार से जा टकराई।

"जानी ने यानी मैंने अपनी सगी, पांच मिनट बड़ी बहन को नहीं छोड़ा तो तुम क्या कर लोगी जानेमन!" जानी ने आशा की ओर देखकर शैतानी मुस्कान भरते हुए कहा। आशा ने फिर उठने की कोशिश की मगर अब तक उसपर कई बंदूकें तन चुकी थीं।

"न...न...न जानेमन! वो स्टोरी की वजह से रिस्टोर होने का मौका मिला था तुम्हें, वरना हम तो अपने बाप को भी मरवा देते हैं हाहाहा…! इसलिए हिलने डुलने की गलती ना ही करो तो बेहतर है।" जानी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान नाच रही थी।

"तेरी …!" आशा ने जोरों से चींखते हुए कहा।

"धीरे बोल जानेमन! अब देख इस दुनिया की नई महारानी तुमपर क्या मेहरबानी करती है।" कहते हुए वह वहां से निकली। "भून डालों इन सबको!"

"साला मैं सोच रहा था कि इसकी प्रेमिका प्रेमम प्रेमम खेल रही है।" अनि ने आदित्य को देखते हुए कहा। "ये इतनी खतरनाक जुड़वा बहन कहाँ से मिली तेरी प्रेमिका को?"

"अभी तो उसी ने बताया साला कि…!" अरुण ने अजीब सा मुँह बनाते हुए कहा।

"अब क्या? अक्ल आ गयी चुन्नू मुन्नू को?" अनि ने आदित्य की ओर देखा।

"अक्ल आये या ना आये अब यहां जो भी है सबको फाड़कर सुखाकर जाएगा अरुण!" अरुण की आँखे फिर धधकने लगीं।

"तो फिर इन्तजार किसका है मिस्टर बर्बादी! बर्बाद कर दो सबको! इतना मेहनत, इतना प्लान सब बर्बाद हुआ जा रहा है।" अनि ने हौले से मुस्काते हुए कहा।

"मैंने सोचा कि मेरे फैमिली की डेथ पोलिटिकल इशू की वजह से हुई, और लोग उन्हें हॉस्पिटल तक ले जाने की जहमत नहीं कर सके। मगर अब पता चला मैं बिल्कुल गलत था, मैं उन सबको वापिस लाने के चक्कर में अंधा हो गया था, मैं भूल गया था कि जो एक बार चला जाता है वो लौटकर नहीं आता। मैंने बहुत से जुर्म किये हैं अरुण! मुझे तुम्हारें हाथों मरना स्वीकार है मगर अब सच्चाई जानने के बाद अब कुछ और ऐसा नहीं कर सकता जिससे मैं अपनी फैमिली और सिया की नजरों में गिर जाऊं। मैंने तुम्हें यहां फंसाया है, मैं ही यहां से निकालूंगा। इसने मेरे ही हाथों से मेरी बेस्ट फ्रेंड को मरवा दिया ओफ्फ…. क्या चाहता था मैं? क्या कर बैठा!" आदित्य बहुत बुरी तरह से टूटा हुआ नजर आ रहा था, उसकी आँखों में पश्चाताप के आँसू थे।

"ये सेंटियापा बाद में करियो! अभी इनसे बचो वरना फिर नरक में में बैठकर आपस में कुचर पुचर करते रहना!" आशा ने उनकी ओर बन्दूक ताने तैयार नकाबपोशों का ध्यान दिलाते हुए बोली, इस के साथ अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गईं।

क्रमशः…..

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नर्क में बैठकर कुचुर-पूछूर 😂👌 अच्छा भाग था।

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